मजबूरी

दिलसार मियां अपनी मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान में कुछ परेशान से बैठे थे, बढ़ती प्रतिद्वंद्विता ने उनकी आमदनी कम कर दी थी। उधर अब्बाजान की डायबिटीज की बिमारी, उनका ईलाज, घर का खर्च दिलसार मियां पर भारी पड़ रहे थे। 

तभी उनकी टेबल पर आवाज हुई, सामने पड़ोस के चौहान बाबू खड़े थे।

“मियां, जरा ये मोबाइल देखना क्या हो गया है।”

दिलसार ने झटपट मोबाइल की परेशानी खोज ली…“अरे ये तो बड़ी चपत हो गई हैंगिंग का प्रॉब्लम है, शायद वायरस आ गया है, हज़ार रुपये लगेंगे।”

मजबूरी दिलसार मियाँ को भी बेईमानी सीखा गई।

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